समझने का मतलब मानना
- समझने/जानने का मतलब मानना अन्यथा कोई लाभ नहीं
- १ तोते को रटा दिया, ऐ तोते जाल पर न बैठना वरना बहेलिया पकड़ ले जाएगा जाल में फँस जाओगे, रट लिया, अब वो छोड़ दिया उड़ा और जाल पर बैठ गया बहेलिया ने पकड़ लिया जाल में बंध गया और बोल रहा है ऐ तोते जाल में न बैठना वरना बहेलिया पकड़ ले जाएगा, वो बोले जा रहा है ऐसे ही और बहेलिया ले जा रहा है उसको ठाठ से, तो इस प्रकार का ज्ञान किस काम का है, जानने/ज्ञान का मतलब मानना, अगर नहीं माना तो जाना अनजाना सब बराबर
- एक पाँच वर्ष का बच्चा याद कर लेता है- मैं मम्मी का भी बेटा हूँ, पापा का भी बेटा हूँ। मैं मम्मी का भी बेटा हूँ, मैं पापा का भी बेटा हूँ। रट लिया उसने, हाँ तो बताओ बेटे किसके बेटे हो ? मैं मम्मी का भी बेटा हूँ, पापा का भी बेटा हूँ। हाँ बेटा कैसे हो तुम दोनों के बेटे, सिद्ध करो। ऐंऽ ! किताब में लिखा है सिद्ध क्या करना है। मैं मम्मी का भी बेटा हूँ, मैं पापा का भी बेटा हूँ। वो तोते की तरह रटे जा रहा है, बोले जा रहा है बिचारा क्या करे वो काम दोष से अपरिचित है। अगर उसको रटा भी दो ऐसा है हमारे पापा ने बताया है कि एक पापा और मम्मी दोनों के मिलने के बाद उनके रज वीर्य के सम्पर्क से बेटा होता है। चलो ये भी रट लिया लेकिन अनुभव तो नहीं, बोध जिसे कहते हैं बोध, वो नहीं हो सकता। उसी प्रकार जब तक माया के क्षेत्र में माया के अण्डर में जीव है तब तक वो बोध नहीं हो सकता कि कैसे हनुमान जी इतने राक्षसों को मार भी रहे हैं और सर्वत्र राम को भी देख रहे हैं। अरे ! अगर राम को देखेंगे तो मारेंगे कैसे ? ये अर्जुन इतने लाखों कौरवों का खून कर रहा है
- जैसे आप कई दिन के भूखे हो आपके सामने थाली लाई जाए अनेक प्रकार के व्यंजन परोसे जाएं, आपको कितनी खुशी होगी कई दिन के भूखे हैं लेकिन आपके कान में आपकी बीबी आकर कहें अरे खाना मत खाना इसमें प्वाइजन मिला है विष मिला है तो आप उस खाने को देख कर जितनी आपको खुशी हो रही थी उतना बड़ा वैराग्य हो जाएगा इमीडिएटली और अगर खिलाने वाला कहे खाइए खाइए १ हजार २ हजार भेंट ले लीजिये १ लाख, १ लाख १ हजार अरे जो मैं ही मर जाऊँगा तो भेंट क्या करेगी उसमें मैं नहीं खाता यानी फिर कोई आपको नहीं खिला सकता और आपकी बुद्धि तो कल्पना भी नहीं कर सकती की अरे मर जाएगा मर जाएगा खाले ४ दिन का भूखा है, ये देखिये मन ने मान लिया बीवी का विश्वास कर लिया लेकिन शास्त्र वेद भगवान और गुरु आपकी बीवी के बराबर भी नहीं है की आप उनकी बात मान ले इस मन का अटैचमेंट संसार में न करना अच्छा गुरुजी और किये भी जा रहे हो मान नहीं रहे हो, सही बात नहीं मानते और गलत खबरें बहुत जल्दी मान लेते हो।
- देखो जब से बच्चा पैदा होता है तब से माँ बाप से सुन रहा है, ए गंदी बात झूठ बोलते हो, लेकिन वो सुनते सुनते पढ़ते पढ़ते लेक्चर देते देते अनंत बार मर गया लेकिन झूठ नहीं छोड़ सका, क्यों ? क्योंकि झूठ बोलने से उसकी स्वार्थ की सिद्धि होती है, और चूँकि संसार के पदार्थों में उसका अटैचमेंट है इसलिए उन पदार्थों की प्राप्ति के लिए जो भी उपाय होगा वो करेगा, तो केवल जानने और सुनने और पढ़ने से काम नहीं चलेगा
- एक आदमी एक शहर के एक मोहल्ले से चिल्लाता हुआ जा रहा है, "चल गई छुरेबाजी" कहीं न चली न फिरी और ये जिन लोगों ने सुना भागना शुरू किया। एक ने कहा- पच्चीस आदमी मर गये। अब वो कलेक्टर परेशान, एस.पी. परेशान, पुलिस परेशान। भाग रहे हैं। हुआ क्या? कुछ नहीं जी, एक ने ऐसे ही उड़ाया बस भगदड़ मच गई। सबने मान लिया उस बात को। और ईश्वरीय बात मानने में क्या मुसीबत आती है आपको ? सही बात भी कभी आप मान लें एक बार तो काम बन जाय। वो उसमें तो खोपड़ी लगती है। ए ! डबल एम. ए. हैं, पीएच. डी. हैं, डी. लिट् हैं। ऐसे कैसे मान लें। भगवान् के बारे में तो तर्क, वितर्क, कुतर्क, अतितर्क करते हैं और संसार के विषय में पूर्ण अंधविश्वास।
- रोज आप अनुभव करते हैं। रेडियो में खबर आई खुश्चैव मर गया। मान लिया। जयप्रकाश का देहावसान हो गया, मान लिया। फिर आया, नहीं-नहीं गलत खबर है, वो नहीं मरे हैं। फिर मान लिया। संसार में तो हर बात आप मान लेते हैं लेकिन शास्त्रों वेदों की बात मानने में आपको बड़ी परेशानी होती है। जो फैक्ट है, उसको मानने में आप परेशान होते हैं। शंकाएँ करते हैं, डाउटस् पैदा होते हैं आपकी खोपड़ी में। तो आत्मा का एकमात्र रिश्तेदार परमात्मा ही है यह बात जिस दिन हम ठीक-ठीक सेंट परसेन्ट समझ लेंगे, यानी रियलाइज करेंगे।
- जैसे आप जब से पैदा हुए, होस संभाले १० १२ साल के हुए तब से ये ज्ञान है मैं मनुष्य हूँ मनुष्य पुरुष हूँ पुरुष हूँ स्त्री हूँ स्त्री हूँ ब्राह्मण हूँ ब्राह्मण हूँ ये जो तमाम प्रकार का जो ज्ञान आपके अंदर आया है ये आपने डाला है ये कोई पैदा होते से १ भी ज्ञान नहीं है लेकिन आपके डालने से इतना भर गया इतना भर गया की वो बिना परिश्रम के सदा बना रहता है बिना परिश्रम के अभ्यस्त हो गया
- आप लोग अपने बाप को जानते हैं ? हाँ, नहीं जान सकते आप इम्पॉसिबल, लोगों ने बता दिया ये तुम्हारा बाप, माँ ने, पड़ोसी ने, ताऊ ने बताया, बस पक्का ज्ञान हो गया, ये मेरा बाप है ये फेथ जम गया आपकी खोपड़ी में, अच्छा बुरा जो भी है मेरा बाप है और भगवान हमारा बाप है ये नहीं जम पाया इसलिए तीन तापों में जल रहे हैं
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